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Every coin has two sides .So same goes with Rahul Gandhi .Instead of mocking at him , we should stand for him .Make him realize the present scenario .Ask him to look for the welfare of the nation as one

What is Rahu Of Indian Politics to whom some call Pappu ,many more as Mentally challeged still many tag him with Bermuda Triangle, Flying Saucers and other such hot and perennial ambiguities.What is your take about the subject so called 'Rahul gandhi 'who is neither Rahul Nor Gandhi .

श्रीयुत अबुध कुमार ,चिरंजीवी मतिमंद कुमार ,चिरकुमार शिशु ,राहुल -बाबा ,मूढ़धन्य प्रौढ़ बालक , कोई एक विशेषण इस अजूबे के साथ चस्पां नहीं किया गया है।ज़ाहिर है, न ये संज्ञा है ,न सर्वनाम ,विशेषण हो सकता  है ,इतना यकीनन मान लेने में कोई हर्ज़ नहीं है।  अलबत्ता हम इस सबसे सहमत नहीं हैं लोग ऐसा कहते हाँ उनका गांधी होना दिखना माना जाना संदेहास्पद ज़रूर प्रतीत होता है। "जो दीसे सो माया।" ये गोचर अगोचर विश्व ये पूरी कायनात ये पूरा प्रपंच ही हमें  'राहु' केतु  की तरह मायावी दिखता है।भारतीय राजनीति के राहु क्या हैं खुदा जाने। बहर -सूरत इस मनोरंजन जन रंजन सामिग्री पर हम ने चंद मित्रों ,मैत्रैयों के विचार आमंत्रित  किये हैं ,इस खुले विमर्श में आपका योगदान हमारे लिए याचित रहेगा। कृपया अभिव्यक्त होवें :

सन्दर्भ -सामिग्री :https://scroll.in/article/709163/cartoons-rahul-gandhi-marks-his-presence-by-being-absent-again

Congress leader Rahul Gandhi | Video screengrab | Twitter






Congress leader Rahul Gandhi | Video screengrab | Twitter


पहली प्रति-क्रिया मेरे अज़ीज़ श्री सत्यप्रकाश गौतम जी की आई है आप कहते हैं :

'Autism spectrum disorder is a developmental condition that involves persistent challenges in social interactions ,speech and non verbal communications ,and restricted ,repetitive behaviors.'

Pappu is a Autism patient ! The above para is elaborated about him .

हिंदी भावार्थ  :आत्मविमोह विकासात्मक सम्बन्धी एक बड़ी बाधा है ,आत्मविमोही व्यक्ति रोज़मर्रा के काम यथा जूते के फीते बाँधना ,टॉफी  से रेपर हटाना आदि भी नहीं कर पाता है। वह आपको आकर पकड़ लेग़ा लेकिन जरूरत पड़ने पर आपको इशारे से नहीं बुला सकता।सम्प्रेषण ,संवाद उसकी विमोही दुनिया में नहीं है। ऐसे बालकों के लिए स्पेशल एजुकेशन की व्यवस्था की जाती  है।एक ही रास्ते से उसे आना जाना पसंद है एक ही खिलौने से वह खेलना पसंद करता है। आदिक चंद लक्षण हमने चिन्हित किये है हैं। सूतराम राम राम।

मेरे परम मित्र श्री संजय ठाकुर के विचार इस मुद्दे पर दो टूक हैं बकौल आपके :
Rahul Gandhi is good for nothing .For india he is an extra liability and mere wastage of taxpayer's money for his security and no benefit for indian economy and country ,thank you ,Sanjay Thakur

उन्नाव ,पूरबी उत्तर प्रदेश से मेरे एक अज़ीज़ श्री योगेंद्र प्रताप सिंह महाकाल ,कहते हैं :राहुल गांधी एक माँ के आज्ञाकारी पुत्र हैं। माँ जो कहतीं हैं करते हैं ,भरसक प्रयत्न करते हैं उनका सौंपा हुआ दायित्व निभा पाएं ,एक कंसिस्टेंसी के अभाव में ऐसा कर नहीं पाते लेकिन एक आदर्श माँ के आज्ञाकारी मानस पुत्र हैं इस से कौन ना -इत्तेफाक रखेगा।

अध्यक्ष का पद उन्हें सौंपा गया न निभा पाए घूमा फिराकर घर की विरासत घर में लौट आई क्या विडंबना है इत्ती बड़ी पार्टी और अध्यक्ष कार्यकारी। जयभारत ,वंदे  मातरम्।

हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स से मैनेजरी सेवा से मुक्त हुए लखनऊ से श्री आदर्श भाई शर्मा कहते हैं न कोई नेहरू खानदान से पहले नेहरू ना बाद नेहरू के कोई नेहरू रहा ,इंदिरा गांधी नेहरू इंदिरा प्रियदर्शनी हो गईं ,इंदिरा जी के अर्द्धपरमेष्वर पारसी खान थे कुछ उन्हें फ़िरोज़ गैंडी भी कहें हैं लेकिन पारसियों में कहीं भी कोई गांधी गोत्रीय किसी न देखा है न सुना ,ये छद्म गांधी राहुल हो गए जबकि इनके पिता श्री राजीव खान थे ,चाचा संजय खान ये खुद बरसों राहुल विन्ची रहे और मातश्री इनकी एंटोनियो मायनो। पूरा कुनबा फ़र्ज़ी प्यादा कोई नहीं सबके सब वजीर।ये नै बायोमीट्रिक केमिस्ट्री है। पुत्र मोह कांग्रेस को ले डूबा है। राहुल के  मसखरेपन पर हंसा तो जा सकता है देश को नहीं छोड़ा जा सकता।वो क्या बला हैं भगवान् जाने। अक्सर ज़ोरदार तरीके से देश को ये लगा है राहुल चीन -पाकिस्तान के साझा प्रवक्ता हैं। जहां तक इनके हिन्दू मुस्लिम पारसी होने का सवाल है तो कबीर की उक्ति याद आती है -

मेरी तू जात  क्या पूछती है मुन्नी ,
शियाओं में मैं शिया हूँ ,सुन्नियों में सुन्नी।

अमेठी में मैं हिन्दू वायनाड में मुसलमां।


ताज़ा  प्रतिक्रिया अभी -अभी प्राप्त हुई है नीति बाग़ नै दिल्ली से नुपूर माथुर मेरी मानस पुत्री की :
Every coin has two sides .So same goes with Rahul Gandhi .Instead of mocking at him , we should stand for him .Make him realize the present scenario .Ask him to look for the welfare of the nation as one .

It's easy to find mistakes but it takes time to rectify .

क्या कहते हैं मेरे बालसखा उमेश जो पेशे से एडवोकेट हैं :

Rahul Gandhi the person who is only found in india you can call him a person whose upper story is vacant .And or rather a person whose brain requires oiling ,or a person whose brain's screw is  loose  e.g one person asked him a question ,"Can you answer egg first or the hen " said Rahul the hen because the egg was exited by her uterous .

And the egg could not come out without hen .Another question asked was  could you answer how many stars are there in the sky ?"Oh! My God !I never counted so many stars out there in the sky ,but i can answer you after asking my  mother .

Probably she might have counted those .Once he himself admitted in public domain in a political rally "मैं जानता हूँ ,लोग मुझे पप्पू कहते हैं ,परन्तु मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है ,मैं किसी की जुबान कैसे रोक सकता हूँ ?"

एक किसान रैली  में आपने कहा ," प्यारे किसान भाइयो ! एक दिन वह समय आएगा जब तुम्हारे खेतों में गुड़ की फसल लहलहायेगी ,एक बार आपने गन्ने की फसल देखकर एक किसान से यह पूछा ,इस पर गुड़ कब लगेगा ?

One more quality he has -he does not want that his sister Priyanka Gandhi should  come in central politics but remain in state affairs .This shows his malafide  intentions  ,he wants to remain in central politics and become PM and percieves her as a threat .

So this country will remain indebted to such a worthy creature on this planet .
सुप्रिय बेटे जी सुबोध से इस विषय पर (राहुल गांधी क्या हैं ,संज्ञा सर्वनाम या विशेषण ,बरमूडा त्रिकोड़ या फिर उड़नतश्तरी ?)वह तपाक  से बोले इस विषय पर तो सिनोप्सिस भी नहीं बनती उनसे पूछो चाय में क्या पड़ता है "हल्दी चुना सुपारी लॉन्ग और दाल चीनी "तपाक ज़वाब मिलेगा। ऐसे आदमी पर क्यों वक्त जाया करते हो प्रभुजी। अब आप कहिन हो तो हम कहेंगे अब इनको और इनकी अम्मा को बाकी  का जीवन कांग्रेस द्वारा की जा चुकी लूट पर निश्चिन्त होकर बिताना चाहिए। सत्ता में तो अब ये लौट के आएंगे नहीं ,नानके जायेंगे नहीं देश इनका भी है हम सबका है हमारी सर्वसमावेशी सर्वसंग्राही संस्कृति का ये तकाज़ा है एक कांग्रेस संग्राहलय बनवा कर इन्हें उसका आजीवन ट्रस्टी बना दिया जाए इनका पूर्ण संरक्षण अनुरक्षण किया जाए ताकि आने वाली संतति जान सकें भारत में कल तक ऐसे ऐसे अजूबे पाए जाते थे। इति !

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इस शास्त्र का 'पूर्वमीमांसा' नाम इस अभिप्राय से नहीं रखा गया है कि यह उत्तरमीमांसा से पहले बना  । 'पूर्व' कहने का तात्पर्य यह है कि कर्मकांड मनुष्य का प्रथम धर्म है ज्ञानकांड का अधिकार उसके उपरान्त आता है। मीमांसा का तत्वसिद्धान्त विलक्षण है । इसकी गणना अनीश्वरवादी दर्शनों में है । षड्दर्शन षड्दर्शन उन भारतीय दार्शनिक एवं धार्मिक विचारों के मंथन का परिपक्व परिणाम है जो हजारों वर्षो के चिन्तन से उतरा और हिन्दू (वैदिक) दर्शन के नाम से प्रचलित हुआ। इन्हें आस्तिक दर्शन भी कहा जाता है। दर्शन और उनके प्रणेता निम्नलिखित है। १ पूर्व मीमांसा: महिर्ष जैमिनी २ वेदान्त (उत्तर मीमांसा): महिर्ष बादरायण ३ सांख्य: महिर्ष कपिल ४ वैशेषिक: महिर्ष कणाद ५ न्याय: महिर्ष गौतम ६ योग: महिर्ष पतंजलि वेद ज्ञान को समझने व समझाने के लिए दो प्रयास हुए: १. दर्शनशास्त्र २. ब्राह्यण और उपनिषदादि ग्रन्थ। ब्राह्यण और उपनिषदादि ग्रन्थों में अपने-अपने विषय के आप्त ज्ञाताओं द्वारा अपने शिष्यों, श्रद्धावान व जिज्ञासु लोगों को  मूल वैदिक ज्ञान सरल भाषा में विस्तार से समझाया है। यह ऐसे ही है जैसे आज के युग में...

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