मान्यवर यही वह समय है जब लोहा गर्म है ,भारत को अपने इरादों पर दृढ़ता पूर्वक कायम रहना है सरकार भी मजबूत कामकाजी और विश्व राजनय भी फिलवक्त भारत की और झुका हुआ है। दक्षिण चीन सागर में अमरीका भारत की हिमायत और इस इलाके में अपनी पैठ बनाये रखने के लिए अपना सबसे बड़ा समुद्री बेड़ा ले आया है। ऑस्ट्रेलिया जापान यहां तक के रूस भी अब भारत की और अनुकूल मुद्रा में है। यही वह समय है जब चीन को उसके विस्तारवादी मंसूबों को आलमी (ग्लोबी ,भूमंडलीय ) स्तर पर नकेल डाली जाए। अभी नहीं तो कभी नहीं न सब दिन सावन होते हैं न हवाओं का रुख माकूल होता है। इसी आशय की रिपोर्ट और विश्लेषण पढ़िए :
क्या हो रहा है भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ?
जैसे ही चीन पीछे हटने लगता है वैसे ही भारत कुछ न कुछ ऐसा कर देता है की वह पीछे न हट पाये... जैसे की कल प्रधानमंत्री पहुँच गए लेह!
तो ये भारत चीन के बीच का जो मामला चल रहा है बहुत से लोगों को आइडिया भी नहीं है के ये खेल क्या है... इस पर टॉर्च मारने की एक कोशिश करते हैं :)
आपने देखा होगा की कोंग्रेसी कहते रहते हैं की चीन अंदर घुस आया ... चीन अंदर घुस आया... और सरकार कहती है की नहीं घुसा नहीं घुसा... फिर भी आपने बहुत से समझदार लोगों को यही कहते सुना होगा की चीन अंदर ही आया हुआ है... ऐसा सब टेक्निकल भाषा की वजह से कनफ्यूज़ होता है ... लेकिन सच तो यही है की चीन उस क्षेत्र में घुसा हुआ है जो की बफर ज़ोन है... याने जो बीच में खाली छोड़ा जाता है। और वह ज़रूरत से ज़्यादा घुसा हुआ है... तो एक तरह से वह भले भारत की क्लीयर क्लीयर सीमा में नहीं है... याने हमारी कोई पोस्ट उनके कब्जे में नहीं है ... लेकिन बफर ज़ोन में वह कुंडली मारे बैठा ज़रूर है...
लेकिन इसका असल सच ये है की भारत ने उसे वहाँ फंसा लिया है... भारत ने उसे दाना डाल के अपने जाल में फंसाया है... और अब न आगे बढ़ने देगा न पीछे हटने दे रहा है :)
लेकिन क्यों?
तो जनाब इसके लिए आपको भारत की चाणक्य नीति समझनी होगी... की जो दिखाई देता है वह असल में होता नहीं है... और जो होता है वह असल में दिखाई नहीं देता है...यही तो माया है।
असल में क्या है?असलियत क्या है ? असल में ये है की हमारे प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री सरदारजी चुप्पा सिंह जी के समय में बहुत सारे कांड हुए... जिसकी वजह भी ये कॉंग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच का करार ही थी... जो देखने में कांड जैसे नहीं लगते हैं लेकिन समझने में लगते हैं... इसकी वजह से चीनी कंपनियाँ भारत में आई... चीनी सरकार इनको सबसिडी देती रही, जिसकी वजह से उनके सामान हमारे यहाँ लागत से भी सस्ते पड़ने लगे... तो हमारे लघु उद्योग अगर लागत पर भी बेचें तब भी चीन से सस्ता न दे पाएँ... इसकी वजह से सब घरेलू उत्पादन बंद... ठप्प। और इस सब में हमारे देश को 30 लाख करोड़ का घाटा हुआ है... और चीन को समझिए की इस से भी ज़्यादा फायदा... तो यह कॉंग्रेस चीनी पार्टी घोटालेबाजी असल में 30 लाख करोड़ की है।
अब इन चीनी सब कंपनियों को भारत कैसे भगाये? क्यूंकी WTO के सदस्य होने के नाते भारत ऐसे ही तो इन से व्यापार बंद नहीं कर सकता... न ही प्रतिबंध लगा सकता। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होने पर सब हो जाता है... इसलिए भारत ने यहाँ ऐसे ऐसे बयान देना शुरू किया जिस से की चीन भड़के...
तो आपको अमित शाह का संसद में वह बयान याद होगा जिसमें उन्होने खूब ज़ोर से कहा था की जान दे देंगे... लेकिन अपनी ज़मीन नहीं देंगे... और जिसमें पीओके के साथ साथ अकसाई चिन का भी ज़िक्र किया था। बस तभी से चीन को अकसाई चिन जाने का ड़र सता रहा है ... साथ ही गिलगित बाल्टिस्तान में तो चीन की जान फंसी हुई है क्यूंकी उसके बिना तो उसकी वन बेल्ट वन रोड ही फंस जाएगी... जिस पर चीन अरबों डॉलर लगा ही चुका है...
तो चीन ने अंदर आना ही था... लेकिन वह इस बात के लिए तैयार नहीं था की भारत ऐसी प्रतिकृया देगा और बात लड़ाई तक आ जाएगी... बार्डर पर सैनिक भिड़ गए और दोनों तरफ के सैनिक शहीद हुए... बस यहीं से मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का बन गया है... और अब इस राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को बीच में ला कर भारत धड़ाधड़ चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाये जा रहा है...
वह इसे ऐसे ही नहीं कर सकता था... लेकिन अब कर सकता है... इसलिए जैसे ही चीन पीछे हटने की भी कोशिश करता है तो भारत उसे फिर से उकसा देता है... हटने नहीं दे रहा... की भैया अभी हमने सब चीनी कंपनियों का इलाज नहीं किया था ... तुम कहाँ चले... ?
लड़ाई एक अलग मसला है... लेकिन पहले भारत चीन की रीढ़ पर प्रहार करेगा... जैसे पाकिस्तान की तोड़ी है... वैसे चीन की पूरी तरह तो नहीं तोड़ सकता लेकिन उसे कमजोर और खुद को सशक्त तो ज़रूर कर सकता है... युद्ध तो किसी के भी हक़ में नहीं... इसलिए बड़े स्तर का युद्ध न भारत करेगा और न चीन... कम से कम फिलहाल नहीं करेगा... लेकिन होने को कुछ भी कभी भी हो जाये वो अलग बात है...
सीमा पर टेंशन बनाए रखना अब भारत के और विश्व के हक़ में है... और भारत यही कर रहा है... चीन की रीढ़ पर भारत अपने हिस्से का प्रहार कर रहा है... बाकी विश्व अपने हिस्से का करेगा।
नमन है देश के प्रधान सेवक और हमारी सेना को....वंदेमातरम
🇮🇳
साभार
क्या हो रहा है भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ?
जैसे ही चीन पीछे हटने लगता है वैसे ही भारत कुछ न कुछ ऐसा कर देता है की वह पीछे न हट पाये... जैसे की कल प्रधानमंत्री पहुँच गए लेह!
तो ये भारत चीन के बीच का जो मामला चल रहा है बहुत से लोगों को आइडिया भी नहीं है के ये खेल क्या है... इस पर टॉर्च मारने की एक कोशिश करते हैं :)
आपने देखा होगा की कोंग्रेसी कहते रहते हैं की चीन अंदर घुस आया ... चीन अंदर घुस आया... और सरकार कहती है की नहीं घुसा नहीं घुसा... फिर भी आपने बहुत से समझदार लोगों को यही कहते सुना होगा की चीन अंदर ही आया हुआ है... ऐसा सब टेक्निकल भाषा की वजह से कनफ्यूज़ होता है ... लेकिन सच तो यही है की चीन उस क्षेत्र में घुसा हुआ है जो की बफर ज़ोन है... याने जो बीच में खाली छोड़ा जाता है। और वह ज़रूरत से ज़्यादा घुसा हुआ है... तो एक तरह से वह भले भारत की क्लीयर क्लीयर सीमा में नहीं है... याने हमारी कोई पोस्ट उनके कब्जे में नहीं है ... लेकिन बफर ज़ोन में वह कुंडली मारे बैठा ज़रूर है...
लेकिन इसका असल सच ये है की भारत ने उसे वहाँ फंसा लिया है... भारत ने उसे दाना डाल के अपने जाल में फंसाया है... और अब न आगे बढ़ने देगा न पीछे हटने दे रहा है :)
लेकिन क्यों?
तो जनाब इसके लिए आपको भारत की चाणक्य नीति समझनी होगी... की जो दिखाई देता है वह असल में होता नहीं है... और जो होता है वह असल में दिखाई नहीं देता है...यही तो माया है।
असल में क्या है?असलियत क्या है ? असल में ये है की हमारे प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री सरदारजी चुप्पा सिंह जी के समय में बहुत सारे कांड हुए... जिसकी वजह भी ये कॉंग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच का करार ही थी... जो देखने में कांड जैसे नहीं लगते हैं लेकिन समझने में लगते हैं... इसकी वजह से चीनी कंपनियाँ भारत में आई... चीनी सरकार इनको सबसिडी देती रही, जिसकी वजह से उनके सामान हमारे यहाँ लागत से भी सस्ते पड़ने लगे... तो हमारे लघु उद्योग अगर लागत पर भी बेचें तब भी चीन से सस्ता न दे पाएँ... इसकी वजह से सब घरेलू उत्पादन बंद... ठप्प। और इस सब में हमारे देश को 30 लाख करोड़ का घाटा हुआ है... और चीन को समझिए की इस से भी ज़्यादा फायदा... तो यह कॉंग्रेस चीनी पार्टी घोटालेबाजी असल में 30 लाख करोड़ की है।
अब इन चीनी सब कंपनियों को भारत कैसे भगाये? क्यूंकी WTO के सदस्य होने के नाते भारत ऐसे ही तो इन से व्यापार बंद नहीं कर सकता... न ही प्रतिबंध लगा सकता। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होने पर सब हो जाता है... इसलिए भारत ने यहाँ ऐसे ऐसे बयान देना शुरू किया जिस से की चीन भड़के...
तो आपको अमित शाह का संसद में वह बयान याद होगा जिसमें उन्होने खूब ज़ोर से कहा था की जान दे देंगे... लेकिन अपनी ज़मीन नहीं देंगे... और जिसमें पीओके के साथ साथ अकसाई चिन का भी ज़िक्र किया था। बस तभी से चीन को अकसाई चिन जाने का ड़र सता रहा है ... साथ ही गिलगित बाल्टिस्तान में तो चीन की जान फंसी हुई है क्यूंकी उसके बिना तो उसकी वन बेल्ट वन रोड ही फंस जाएगी... जिस पर चीन अरबों डॉलर लगा ही चुका है...
तो चीन ने अंदर आना ही था... लेकिन वह इस बात के लिए तैयार नहीं था की भारत ऐसी प्रतिकृया देगा और बात लड़ाई तक आ जाएगी... बार्डर पर सैनिक भिड़ गए और दोनों तरफ के सैनिक शहीद हुए... बस यहीं से मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का बन गया है... और अब इस राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को बीच में ला कर भारत धड़ाधड़ चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाये जा रहा है...
वह इसे ऐसे ही नहीं कर सकता था... लेकिन अब कर सकता है... इसलिए जैसे ही चीन पीछे हटने की भी कोशिश करता है तो भारत उसे फिर से उकसा देता है... हटने नहीं दे रहा... की भैया अभी हमने सब चीनी कंपनियों का इलाज नहीं किया था ... तुम कहाँ चले... ?
लड़ाई एक अलग मसला है... लेकिन पहले भारत चीन की रीढ़ पर प्रहार करेगा... जैसे पाकिस्तान की तोड़ी है... वैसे चीन की पूरी तरह तो नहीं तोड़ सकता लेकिन उसे कमजोर और खुद को सशक्त तो ज़रूर कर सकता है... युद्ध तो किसी के भी हक़ में नहीं... इसलिए बड़े स्तर का युद्ध न भारत करेगा और न चीन... कम से कम फिलहाल नहीं करेगा... लेकिन होने को कुछ भी कभी भी हो जाये वो अलग बात है...
सीमा पर टेंशन बनाए रखना अब भारत के और विश्व के हक़ में है... और भारत यही कर रहा है... चीन की रीढ़ पर भारत अपने हिस्से का प्रहार कर रहा है... बाकी विश्व अपने हिस्से का करेगा।
नमन है देश के प्रधान सेवक और हमारी सेना को....वंदेमातरम
साभार
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