पूति पियारो पिता कौं ,गौहनि लागा धाइ , लोभ मिठाई हाथ दे ,आपण गया भुलाइ। The beloved son of his Father, Behind his Father walked along , (Maya )placed greed -sweet in his hand And he forgot Who was his own . शब्दार्थ :पूत पियारो- प्रिय पुत्र.(आत्मा परमात्मा का ही वंश है कुनबा है ) पिता कौं- पिता/ईश्वर /परमात्मा गौंहनि- साथ. लागा धाइ- दौडकर. लोभ मिठाई हाथ दे- हाथ में लोभ मिठाई देकर. आपण - अपनापन, निजतत्व. जीवात्मा अपने प्रिय पिता के पीछे चल रहा था, दौड़कर मिल रहा था. माया से यह देखा नहीं गया और उसने साधक के हाथ में मिठाई को थमा दिया. माया ने जीवात्मा को भरमाने के लिए उसके हाथों में लोभ और विषय की मिठाई थमा दी है. कबीर ने माया को महाठगिनी कहा है। यह स्वंय के मूल स्वभाव को छुपा कर जीवात्मा को लालायित कर अपने भरम जाल में फांस लेती है, जिसे समझना अत्यंत ही आवश्यक है। इसे कौन समझ सकता है। यह ज्ञान सच्चा गुरु ही दे सकता है। लेकिन साधक को चाहिए की वह स्वविवेक से सच्चे गुरु की पहचान करे। गुरु धारण करने से पूर्व गुरु की पहचान भी आवश्य...